मैं हूँ पतंग ए काग़ज़ी डोर है उस के हाथ में
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मैं हूँ पतंग-ए-काग़ज़ी डोर है उस के हाथ में
चाहा इधर घटा दिया चाहा उधर बढ़ा दिया
- नज़ीर अकबराबादी
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मैं हूँ पतंग-ए-काग़ज़ी डोर है उस के हाथ में
चाहा इधर घटा दिया चाहा उधर बढ़ा दिया
- नज़ीर अकबराबादी
Main hoon patang-e-kaagazee dor hai us ke haath mein,
Chaaha idhar ghata diya chaaha udhar badha diya !!
- Nazeer Akabaraabaadee ~
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