दुश्मनों को सज़ा देने की एक तहज़ीब है मेरी
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दुश्मनों को सज़ा देने की एक तहज़ीब है मेरी,
मैं हाथ नहीं उठाता बस नज़रों से गिरा देता हूँ।
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दुश्मनों को सज़ा देने की एक तहज़ीब है मेरी,
मैं हाथ नहीं उठाता बस नज़रों से गिरा देता हूँ।
Dushmanon ko saza dene kee ek tahazeeb hai meree,
Main haath nahin uthaata bas nazaron se gira deta hoon.
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