तन्हाई की चादर औढकर रातों को नींद नहीं आती हमें
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तन्हाई की चादर औढकर रातों को नींद नहीं आती हमें..
साहब.. गुज़र जाती है हर रात किसीकी बातों को याद करते करते।
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तन्हाई की चादर औढकर रातों को नींद नहीं आती हमें..
साहब.. गुज़र जाती है हर रात किसीकी बातों को याद करते करते।
Tanhaee kee chaadar audhakar raaton ko neend nahin aatee hamen..
Saahab.. guzar jaatee hai har raat kiseekee baaton ko yaad karate karate.
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