नहीं रही नींद की आरज़ू अब मुझे
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नहीं रही नींद की आरज़ू अब मुझे,
अब रातों को जागना अच्छा लगता है,
मुझे नहीं मालूम वो मेरी किस्मत में है या नहीं,
मगर उसे रब से माँगना अच्छा लगता है।
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नहीं रही नींद की आरज़ू अब मुझे,
अब रातों को जागना अच्छा लगता है,
मुझे नहीं मालूम वो मेरी किस्मत में है या नहीं,
मगर उसे रब से माँगना अच्छा लगता है।
Nahn Rahi Neend Ki Aarzoo Ab Mujhe,
Ab Raaton Ko Jaagna Achchha Lagta Hai,
Mujhe Nahin Malum Wo Meri Kismat Mein Hai Ya Nahin,
Magar Use Rab Se Mangna Achchha Lagta Hai.
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