ज़मज़म का पानी हो या गंगा की धार,
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ज़मज़म का पानी हो या गंगा की धार,
पवित्र दोनों ही है फिर क्यों मजहबी दीवार.
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ज़मज़म का पानी हो या गंगा की धार,
पवित्र दोनों ही है फिर क्यों मजहबी दीवार.
Zamazam ka paanee ho ya ganga kee dhaar,
Pavitr donon hee hai phir kyon majahabee deevaar.
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