जाने कहाँ थे और चले थे कहाँ से हम
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जाने कहाँ थे और चले थे कहाँ से हम,
बेदार हो गए किसी ख्वाब-ए-गिराँ से हम,
ऐ नौ-बहार-ए-नाज़ तेरी निकहतों की खैर,
दामन झटक के निकले तेरे गुलसिताँ से हम।
~ Ahmad Nadeem Qasimi
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जाने कहाँ थे और चले थे कहाँ से हम,
बेदार हो गए किसी ख्वाब-ए-गिराँ से हम,
ऐ नौ-बहार-ए-नाज़ तेरी निकहतों की खैर,
दामन झटक के निकले तेरे गुलसिताँ से हम।
~ Ahmad Nadeem Qasimi
Jaane Kahan The Aur Chale The Kahaan Se Ham,
Bedaar Ho Gaye Kisi Khwaab-E-Giraan Se Ham,
Ai Nau-Bahaar-E-Naaz Teri Nikahaton Ki Khair,
Daaman Jhatak Ke Nikle Tere Gulsitaan Se Ham.
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