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जब प्रकृति का कहर बरसता है,
तब खेत दो बूँद पानी के लिए तरसता है,
हमने ही प्रकृति से खिलवाड़ किया है
इसलिए वो हमको माफ़ नहीं करता है.
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जब प्रकृति का कहर बरसता है,
तब खेत दो बूँद पानी के लिए तरसता है,
हमने ही प्रकृति से खिलवाड़ किया है
इसलिए वो हमको माफ़ नहीं करता है.

Jab prakrti ka kahar barasata hai,
Tab khet do boond paanee ke lie tarasata hai,
Hamane hee prakrti se khilavaad kiya hai
Isalie vo hamako maaf nahin karata hai.

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