उलझनों और कश्मकश में उम्मीद की ढाल लिए बैठै हैं
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उलझनों और कश्मकश में उम्मीद की ढाल लिए बैठै हैं,
ए जिंदगी, तेरी हर चाल के लिए हम दो चाल लिए बैठे हैं...!
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उलझनों और कश्मकश में उम्मीद की ढाल लिए बैठै हैं,
ए जिंदगी, तेरी हर चाल के लिए हम दो चाल लिए बैठे हैं...!
Ulajhanon aur kashmakash mein ummeed kee dhaal lie baithai hain,
E jindagee, teree har chaal ke lie ham do chaal lie baithe hain...!
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