वो जिसका तीर चुपके से जिगर के पार होता है
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वो जिसका तीर चुपके से जिगर के पार होता है,
वो कोई गैर होता नहीं अपना रिश्तेदार होता है,
किसी से अपने दिल बात तू कहना न भूले से,
यहाँ ख़त भी ज़रा सी देर में अखबार होता है।
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वो जिसका तीर चुपके से जिगर के पार होता है,
वो कोई गैर होता नहीं अपना रिश्तेदार होता है,
किसी से अपने दिल बात तू कहना न भूले से,
यहाँ ख़त भी ज़रा सी देर में अखबार होता है।
Woh Jiska Teer Chupke Se Jigar Ke Paar Hota Hai,
Woh Koyi Gair Hota Nahi Apna Rishtedaar Hota Hai,
Kisi Se Apne Dil Ki Baat Tu Kehna Na Bhule Se,
Yeha Khat Bhi Zara Si Der Mein Akhbar Hota Hai.
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