एक दो रोज में हर आँखें उब्ब जाती है
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एक दो रोज में हर आँखें उब्ब जाती है,
मुझको मंजिल नहीं रास्ता समझने लगते है…!
जिनको हासिल नहीं वो जान देते रहते है,
जिनको मिल जॉन वो सस्ता समझने लगते है…!!
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एक दो रोज में हर आँखें उब्ब जाती है,
मुझको मंजिल नहीं रास्ता समझने लगते है…!
जिनको हासिल नहीं वो जान देते रहते है,
जिनको मिल जॉन वो सस्ता समझने लगते है…!!
Ek do roj mein har aankhen ubb jaatee hai,
Mujhako manjil nahin raasta samajhane lagate hai…!
Jinako haasil nahin vo jaan dete rahate hai,
Jinako mil jon vo sasta samajhane lagate hai…!!
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