साम, दाम, दंड और भेद से बन जाता है सरपंच
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साम, दाम, दंड और भेद से बन जाता है सरपंच,
उनके स्वागत के लिए तैयार होता है गाँव का हर मंच.
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साम, दाम, दंड और भेद से बन जाता है सरपंच,
उनके स्वागत के लिए तैयार होता है गाँव का हर मंच.
Saam, daam, dand aur bhed se ban jaata hai Sarpanch
Unke swagat ke lie taiyaar hota hai gaanv ka har manch.
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