खुली रखता हूँ जब पलकें अधर कम खोलता हूँ मैं
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खुली रखता हूँ जब पलकें अधर कम खोलता हूँ मैं ।
कि जब ख़ामोश होता हूँ बहुत कुछ बोलता हूँ मैं ।।
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खुली रखता हूँ जब पलकें अधर कम खोलता हूँ मैं ।
कि जब ख़ामोश होता हूँ बहुत कुछ बोलता हूँ मैं ।।
Khulee rakhata hoon jab palaken adhar kam kholata hoon main .
Ki jab khaamosh hota hoon bahut kuchh bolata hoon main ..
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