खुली जो आँख तो न वो था न वो ज़माना था
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खुली जो आँख तो न वो था न वो ज़माना था,
बस दहकती आग थी तन्हाई थी फ़साना था,
क्या हुआ जो चंद ही क़दमों पे थक के बैठ गए,
तुम्हें तो साथ मेरा दूर तक निभाना था।
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खुली जो आँख तो न वो था न वो ज़माना था,
बस दहकती आग थी तन्हाई थी फ़साना था,
क्या हुआ जो चंद ही क़दमों पे थक के बैठ गए,
तुम्हें तो साथ मेरा दूर तक निभाना था।
Khuli Jo Aankh Toh Na Wo Tha Na Wo Zamana Tha,
Bas Dehakati Aag Thi Tanhayi Thi Fasaana Tha,
Kya Hua Jo Chand Hi Kadmon Pe Thak Ke Baith Gaye,
Tumhein Toh Saath Mera Dur Tak Nibhana Tha.
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