कुछ बूंदे पानी की ना जाने कब से रुकी हैं पलकों पे
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कुछ बूंदे पानी की ना जाने कब से रुकी हैं पलकों पे,
ना ही कुछ कह पाती हैं और ना बह पाती हैं.
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कुछ बूंदे पानी की ना जाने कब से रुकी हैं पलकों पे,
ना ही कुछ कह पाती हैं और ना बह पाती हैं.
Kuchh boonde paanee kee na jaane kab se rukee hain palakon pe,
Na hee kuchh kah paatee hain aur na bah paatee hain.
Today's Shayari
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Today's Prayer
Fill my heart with joy and gladness that will make my health spring forth. Fill my days with pleasure and...
Prayer Of The Day