कभी खोले तो कभी ज़ुल्फ़ को बिखराए है
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कभी खोले तो कभी ज़ुल्फ़ को बिखराए है,
ज़िंदगी शाम है और शाम ढली जाए है।
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कभी खोले तो कभी ज़ुल्फ़ को बिखराए है,
ज़िंदगी शाम है और शाम ढली जाए है।
Kabhi Khole Toh Kabhi Zulf Ko Bikhraye Hai,
Zindagi Shaam Hai Aur Shaam Dhali Jaye Hai.
Today's Shayari
कोई चराग़ जलाता नहीं सलीक़े से...
मगर सभी को शिकायत हवा से होती हैं...!!
Today's Joke
स्कूल के दिनों का एक स्मरण….☺
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पेपर छूटने के बाद….😞😞
बुद्धिमान मित्रों द्वारा, सॉल्व किये गए गणित का
उत्तर...
Today's Prayer
Enough miracle money to meet my basic needs and project needs come to be now. I shall swim in river...
Prayer Of The Day