शबे इंतज़ार की कश्मकश ना पूछ कैसे सहर हुई
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शबे इंतज़ार की कश्मकश ना पूछ कैसे सहर हुई
कभी एक चराग़ जला लिया, कभी एक चराग़ बुझा दिया
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शबे इंतज़ार की कश्मकश ना पूछ कैसे सहर हुई
कभी एक चराग़ जला लिया, कभी एक चराग़ बुझा दिया
Shabe intazaar kee kashmakash na poochh kaise sahar huee
Kabhee ek charaag jala liya, kabhee ek charaag bujha diya
Today's Shayari
उसकी चाहत का और क्या हिसाब दू.....
मैंने बिंदी भी लगाई तो अपने बाबू के आँखों में देखकर ।।
Today's Joke
लड़की अपने दोस्त से “फ्री हो क्या मुझे बाजार तक जाना है...
और मेरी स्कूटी खराब हो गयी है”
लड़का:...
Today's Prayer
Fill my heart with joy and gladness that will make my health spring forth. Fill my days with pleasure and...
Prayer Of The Day