महबूब का घर हो या फरिश्तों की हो ज़मी
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महबूब का घर हो या फरिश्तों की हो ज़मी,
जो छोड़ दिया फिर उसे मुड़ कर नहीं देखा।
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महबूब का घर हो या फरिश्तों की हो ज़मी,
जो छोड़ दिया फिर उसे मुड़ कर नहीं देखा।
Mahboob Ka Ghar Ho Ya Farishton Ki Ho Zamin,
Jo Chhod Diya Phir Use Mudkar Nahi Dekha.
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