कहाँ छुपा के रख दूँ मैं अपने हिस्से की शराफ़त
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कहाँ छुपा के रख दूँ मैं अपने हिस्से की शराफ़त,
जिधर भी देखता हूँ उधर बेईमान खड़े हैं,
क्या खूब तरक्की कर रहा हैं अब देश देखिये,
खेतो में बिल्डर और सड़को पर किसान खड़े हैं.
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कहाँ छुपा के रख दूँ मैं अपने हिस्से की शराफ़त,
जिधर भी देखता हूँ उधर बेईमान खड़े हैं,
क्या खूब तरक्की कर रहा हैं अब देश देखिये,
खेतो में बिल्डर और सड़को पर किसान खड़े हैं.
Kahaan chhupa ke rakh doon main apane hisse kee sharaafat,
Jidhar bhee dekhata hoon udhar beeemaan khade hain,
Kya khoob tarakkee kar raha hain ab desh dekhiye,
Kheto mein bildar aur sadako par kisaan khade hain.
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