मोहब्बत की कश्ती में जरा सोच समझकर चढ़ना यारों
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मोहब्बत की कश्ती में जरा सोच समझकर चढ़ना यारों,
जब चलती है तो किनारा और डुबती है तो सहारा नहीं मिलता।
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मोहब्बत की कश्ती में जरा सोच समझकर चढ़ना यारों,
जब चलती है तो किनारा और डुबती है तो सहारा नहीं मिलता।
Mohabbat kee kashtee mein jara soch samajhakar chadhana yaaron,
Jab chalatee hai to kinaara aur dubatee hai to sahaara nahin milata.
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