फलक के तारों से क्या दूर होगी जुल्मत-ए-शब
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फलक के तारों से क्या दूर होगी जुल्मत-ए-शब,
जब अपने घर के चरागों से रोशनी न मिली।
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फलक के तारों से क्या दूर होगी जुल्मत-ए-शब,
जब अपने घर के चरागों से रोशनी न मिली।
Falak Ke Taaron Se Kya Dur Hogi Zulmat-e-Shab,
Jab Apne Ghar Ke Chiraagon Se Roshni Na Mili.
Today's Quote
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