डूबता हूँ हर रोज खुद के लिखे लफ्जों में
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डूबता हूँ हर रोज खुद के लिखे लफ्जों में
स्याह अन्धेरे से घिरी एक गुमनाम सी घुटन लेकर
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डूबता हूँ हर रोज खुद के लिखे लफ्जों में
स्याह अन्धेरे से घिरी एक गुमनाम सी घुटन लेकर
Doobata hoon har roj khud ke likhe laphjon mein
Syaah andhere se ghiree ek gumanaam see ghutan lekar
Today's Quote
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