जो नज़रें रूकती नहीं ढूढंते हुए मंज़िल ए अहम
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जो नज़रें रूकती नहीं ढूढंते हुए मंज़िल-ए-अहम
उन नज़रों की गिरफ़्त में एक ज़माना आज भी क़ैद हैं।
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जो नज़रें रूकती नहीं ढूढंते हुए मंज़िल-ए-अहम
उन नज़रों की गिरफ़्त में एक ज़माना आज भी क़ैद हैं।
Jo nazaren rookatee nahin dhoodhante hue manzil-e-aham
Un nazaron kee giraft mein ek zamaana aaj bhee qaid hain.
Today's Quote
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