कभी माँ के भ्रूण में ही है मर जाती
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कभी माँ के भ्रूण में ही है मर जाती,
कभी दरिंदों के हाथों है मसली जाती,
कभी यह दहेज़ के लिभियों के हाथ हैं जल जाती,
हम भारतीय है, अब हमें किसी बात पर शर्म नहीं आती.
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कभी माँ के भ्रूण में ही है मर जाती,
कभी दरिंदों के हाथों है मसली जाती,
कभी यह दहेज़ के लिभियों के हाथ हैं जल जाती,
हम भारतीय है, अब हमें किसी बात पर शर्म नहीं आती.
Kabhee maan ke bhroon mein hee hai mar jaatee,
Kabhee darindon ke haathon hai masalee jaatee,
Kabhee yah dahez ke libhiyon ke haath hain jal jaatee,
Ham bhaarateey hai, ab hamen kisee baat par sharm nahin aatee.
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