आलस्य के खेत में जो ख़्वाबों के फसल बोता है
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आलस्य के खेत में जो ख़्वाबों के फसल बोता है,
वक्त की मार पड़ने पर वो अकेले में खूब रोता है.
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आलस्य के खेत में जो ख़्वाबों के फसल बोता है,
वक्त की मार पड़ने पर वो अकेले में खूब रोता है.
Aalasy ke khet mein jo khvaabon ke phasal bota hai,
Vakt kee maar padane par vo akele mein khoob rota hai.
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