धूप भी खुल के कुछ नहीं कहती
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धूप भी खुल के कुछ नहीं कहती ,
रात ढलती नहीं थम जाती है ,
सर्द मौसम की एक दिक्कत है ,
याद तक जम के बैठ जाती है.....!
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धूप भी खुल के कुछ नहीं कहती ,
रात ढलती नहीं थम जाती है ,
सर्द मौसम की एक दिक्कत है ,
याद तक जम के बैठ जाती है.....!
Dhoop bhee khul ke kuchh nahin kahatee ,
Raat dhalatee nahin tham jaatee hai ,
Sard mausam kee ek dikkat hai ,
Yaad tak jam ke baith jaatee hai.....!
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